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बीए सेमेस्टर-3 राजनीति विज्ञान
Unit - VI
अध्याय - 11
सकारात्मक कार्यवाही नीतियाँ : महिला, जाति और वर्ग के सन्दर्भ में
(Affirmative Action Policies: With Respect to Women, Caste and Class)
प्रश्न- सकारात्मक राजनीतिक कार्यवाही से क्या आशय है? इसके लिए भारतीय संविधान में क्या प्रावधान किए गए हैं?
उत्तर -
सकारात्मक राजनीतिक कार्यवाही
सकारात्मक कार्यवाही का अर्थ है - सामाजिक रूप से, शैक्षिक रूप से उपेक्षित समुदायों के कल्याण और विकास के लिए राज्य द्वारा नीति की पहल करना।
एडवर्ड जे केल्फ ने अपनी पुस्तक “अन्डरसटैडिंग ऐफ्रमेटिव एक्शन : पॉलिटिक्स डिस्क्रीमिनेशन एण्ड दि सर्च ऑफ सोशल जस्टीस" में सामाजिक न्याय को परिभाषित किया और कहा कि इसका उद्देश्य जातीय या लिंग आधारित भेदभावों के खिलाफ रोजगार एवं शिक्षा के अवसर उपलब्ध कराना है। इस प्रकार सकारात्मक कार्यवाही का उद्देश्य स्वास्थ्य शिक्षा या रोजगार के अवसरों की कमी को दूर करना है। यह वंचित समूहों के लिए विभिन्न नीति के रूप में विशेष अवसर सृजित करके पुनर्वितरण न्याय प्रदान करता है। सकारात्मक कार्यवाही में राज्य द्वारा नीतिगत पहल शामिल है। जैसे कि नौकरियों के लिए सार्वजनिक संस्थाओं में आरक्षण और वंचित वर्गों जैसे एस.सी., एस.टी., ओ.बी.सी. महिलाओं तथा आर्थिक रूप से कमजोर तबको, जिनमें मुख्यतः उच्च जाति शामिल है उनको सार्वजनिक संस्थाओं में नौकरी तथा राजनीतिक प्रतिनिधित्व देना।
अतः सकारात्मक कार्यवाही का अर्थ है - गरीब महिला और निम्न जातियों के साथ होने वाले भेदभाव को मिटाने की पहल करना। इस प्रकार सकारात्मक कार्यवाही में लोगों के कल्याण के लिए सार्वजनिक नीतियाँ शामिल हैं। यह वृद्धि वितरण तथा मानव विकास के सन्दर्भ में विकास का मार्ग प्रशस्त कर सकता है।
सकारात्मक कार्यवाही के लिए सांविधानिक प्रावधान
सामाजिक कल्याण अर्थव्यवस्था में वृद्धि और मानव के सर्वांगीण विकास के लिए भारत के संविधान निर्माताओं ने सकारात्मक कार्यवाही के लिये विकल्प चुना तथा राज्य को समय-समय पर इस दिशा में प्रभावी नीतियाँ तैयार करने का निर्देश दिया। भारतीय संविधान में सामाजिक और आर्थिक विषमताओं को दूर करने के प्रावधान दिये गये हैं। विशेष तौर पर इन प्रावधानों में एस.सी., एस.टी., ओ.बी.सी. अल्पसंख्यकों के अधिकारों और विकास पर ध्यान दिया गया है। वंचित वर्गों या समुदायों के विकास के लिए प्रावधानों को निम्न श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है-
1. शैक्षिक और सांस्कृतिक सुरक्षा (संरक्षण) - राज्य के नीति-निर्देशक तत्वों के अनुच्छेद- 46 में राज्य को यह निर्देश दिया गया है कि वह कमजोर वर्गों विशेषकर एस. सी. / एस. टी. (SC/ST) के शैक्षिक और आर्थिक हितों को ध्यान रखें तथा उन्हें सामाजिक अन्याय एवं सभी प्रकार के शोषण से रक्षा करे। पाँचवीं और छठीं अनुसूची अधिकारों, संस्कृति एवं रीति-रिवाजों की रक्षा का प्रावधान करती है। पाँचवीं अनुसूची पहाड़ी एवं तटीय आदिवासियों के विषय में हैं, जबकि छठीं अनुसूची मेघालय, त्रिपुरा एवं असम के कुछ पहाड़ी भागों के आदिवासी के विषय में है।
2. सामाजिक सुरक्षा - अनुच्छेद-17 (मूल अधिकार) में अस्पृश्यता को समाप्त कर दिया गया है तथा यह अब दण्डनीय है। इसी वजह से 1955 में नागरिक अधिकार संरक्षण कानून पारित किया गया तथा 1989 में एस.सी., एस.टी. (अत्याचार रोकथाम कानून) पारित किया गया था। राज्य सरकारों एवं केन्द्र शासित प्रदेशों को इन कानूनों को लागू करने की जिम्मेदारी है। इस कार्य के लिए समय-समय पर केन्द्रीय सहायता भी उपलब्ध कराई जाती है। इसके अतिरिक्त अनुच्छेद 24 में 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों को कारखानों और खतरनाक रोजगारों में काम करने पर पाबंदी लगाई गयी है। सबसे वंचित वर्गों के अधिकारों की रक्षा के लिए नये कानून भी पारित किये गये हैं। इसमें सबसे प्रमुख है 2013 में 'प्रोहिबिसन ऑफ एम्पलायमेंट एन मेनुअल स्केवेंजर एण्ड दियर रिहेबिलिटेशन एक्ट पारित कर मैला ढोने पर पाबंदी तथा उनके लिए पुनर्वास की व्यवस्था करना। इसका उद्देश्य है- मैला ढोने वाले की पहचान करना और उनका पुनर्वास करना तथा शौचालयों में मल साफ करने पर पाबंदी लगाना, सीवर और सेप्टिक टैंकों की खतरनाक हस्तगत सफाई पर रोक लगाना इत्यादि।
3. आर्थिक सुरक्षा - अनुसूचित क्षेत्रों में जनजातियों के लिए विशेष आर्थिक सुरक्षा उपाय किये गये हैं। ऐसे राज्यों के राज्यपालों को विशेष शक्तियाँ दी गयी हैं। इन राज्यों के पास जनजातीय क्षेत्रों में भूमि हस्तान्तरण और आवंटन के विनियमन तथा उनमें कारोबार के विनियमन से सम्बन्धित विरोध प्राधिकरण युक्त जनजातीय सलाहकार परिषद (टीएससी) निकाय है। जनजातीय सलाहकार परिषद जनजातियों से सम्बन्धित विभिन्न विषयों पर भी कानून बना सकती है। यह विषय हैं वन जन स्वास्थ्य एवं साफ-सफाई सम्पत्ति का मालिकांना हक विवाह एवं सामाजिक रीति-रिवाज इन राज्यों को अपने विकास के लिए विशेष - विशेषकर भारत की संचित निधि से अनुदान भी आवंटित किया गया है। जैसा कि आदिवासी इलाकों में सुविधाओं की भारी कमी है। इसलिए संविधान के अनुसार, इन्हें विशेष सहायता प्रदान की गयी है। अनुच्छेद 339 में राष्ट्रपति को यह अधिकार दिया गया है कि वह आदिवासी समुदायों के कल्याण के लिए एक आयोग का गठन करे, जो इसके कल्याण के लिए प्रशासन को सलाह दे सके।
4. राजनीतिक संरक्षण - संविधान में राजनीतिक संस्थाओं में राजनीतिक प्रतिनिधित्व का विशेष प्रावधान है। संविधान के अनुच्छेद 330 में लोकसभा में SC/ST के लिए सीटें आरक्षित की गई हैं, जिससे अनुच्छेद 243 डी में SC/ST एवं महिलाओं को ( एक तिहाई ) आरक्षण दिया गया है। यह अनुच्छेद संविधान में 1992 में 73वें संविधान संशोधन के बाद जोड़ा गया है।
5. रोजगार एवं शैक्षिक संस्थाओं में आरक्षण - संविधान में अनुसूचित जाति, जनजाति एवं पिछड़े वर्गों को शैक्षिक संस्थाओं में आरक्षण का प्रावधान दिया गया गई हैं तथा अनुच्छेद 334 के अनुसार विधानसभा ने भी सीटें आरक्षिति की हैं। अनुच्छेद-31 के अन्तर्गत राष्ट्रपति किसी एंग्लो भारतीय समुदाय से लोकसभा में नियुक्त कर सकता है। पंचायतों तथा जिला परिषदों में भी आरक्षण का प्रावधान है। लोक रोजगार के मामलों में अवसर की समानता का उपबंध करने वाले अनुच्छेद-16 में नागरिकों के समान अवसर का प्रावधान है तथा सेवाओं में नियुक्तियों और पदों के आरक्षण के लिए विशेष खंड में प्रावधान किया गया है। उसी खण्ड के अनुच्छेद- 4क में SC/ST के लिए सरकारी सेवाओं के भीतर पदोन्नति के मामलों में आरक्षण का प्रावधान है। केन्द्रीय संस्थानों में एस.सी., एस.टी. के लिए 22.5% - तथा पिछड़े वर्गों के लिए 29.5% का प्रावधान किया गया है। हालांकि संविधान में ये प्रावधान SC/ST के लिए पहले से ही मौजूद थे, लेकिन अन्य पिछड़े वर्ग के लिए ये प्रावधान 1993 में मंडल आयोग की रिपोर्ट लागू होने के बाद किया गया। हालांकि मंडल आयोग की रिपोर्ट के कार्यान्वयन से पूर्व अनेक राज्यों में अन्य पिछड़े वर्गों का आरक्षण अस्तित्व में था।
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- प्रश्न- सन 1909 ई. अधिनियम पारित होने के कारण बताइये।
- प्रश्न- भारत सरकार अधिनियम, (1909 ई.) के प्रमुख प्रावधानों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- भारत सरकार अधिनियम, 1909 ई. के मुख्य दोषों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 1935 के भारत सरकार अधिनियम की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।
- प्रश्न- भारत सरकार अधिनियम, 1935 ई. का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए।
- प्रश्न- 'भारत के प्रजातन्त्रीकरण में 1935 ई. के अधिनियम ने एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। क्या आप इस कथन से सहमत हैं?
- प्रश्न- भारत सरकार अधिनियम, 1919 ई. के प्रमुख प्रावधानों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सन् 1995 ई. के अधिनियम के अन्तर्गत गर्वनरों की स्थिति व अधिकारों का परीक्षण कीजिए।
- प्रश्न- माण्टेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार (1919 ई.) के प्रमुख गुणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लोकतंत्र के आयाम से आप क्या समझते हैं? लोकतंत्र के सामाजिक आयामों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- लोकतंत्र के राजनीतिक आयामों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- भारतीय राजनीतिक व्यवस्था को आकार देने वाले कारकों पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- भारतीय राजनीतिक व्यवस्था को आकार देने वाले संवैधानिक कारकों पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- संघवाद (Federalism) से आप क्या समझते हैं? क्या भारतीय संविधान का स्वरूप संघात्मक है? यदि हाँ तो उसके लक्षण क्या-क्या हैं?
- प्रश्न- भारतीय संविधान संघीय व्यवस्था स्थापित करता है। संक्षेप में बताएँ।
- प्रश्न- संघवाद से आप क्या समझते हैं? संघवाद की पूर्व शर्तें क्या हैं? भारत के सन्दर्भ में संघवाद की उभरती हुई प्रवृत्तियों की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- भारत के संघवाद को कठोर ढाँचे में नही ढाला गया है" व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- राज्यों द्वारा स्वयत्तता (Autonomy) की माँग से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- क्या भारत को एक सच्चा संघ (True Federation) कहा जा सकता है?
- प्रश्न- संघीय व्यवस्था में केन्द्र शक्तिशाली है क्यों?
- प्रश्न- क्या भारतीय संघीय व्यवस्था में गठबन्धन की सरकारें अपरिहार्य हैं? चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- क्या क्षेत्रीय राजनीतिक दल भारतीय संघीय व्यवस्था के लिए संकट है? चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- केन्द्रीय सरकार के गठन में क्षेत्रीय राजनीतिक दलों की भूमिका की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- भारत में गठबन्धन सरकार की राजनीति क्या है? गठबन्धन धर्म से क्या तात्पर्य है?
- प्रश्न- भारत के प्रमुख राजनीतिक दलों के विषय में संक्षिप्त जानकारी दीजिए।
- प्रश्न- राजनीतिक दलों का वर्गीकरण करें। दलीय पद्धति कितने प्रकार की होती है? गुण-दोषों के आधार पर विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- दलीय पद्धति के लाभ व हानियाँ क्या हैं?
- प्रश्न- भारतीय दलीय व्यवस्था में पिछले 60 वर्षों में आए परिवर्तनों के कारणों की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक उदारवाद के इस युग में भारत में गठबंधन की राजनीति के भविष्य की आलोचनात्मक चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- दलीय प्रणाली (Party System) में क्या दोष पाये जाते हैं?
- प्रश्न- दबाव समूह व राजनीतिक दलों में क्या-क्या अन्तर है?
- प्रश्न- भारत में क्षेत्रीय दलों के उदय एवं विकास के लिए उत्तरदायी तत्व कौन से हैं?
- प्रश्न- 'गठबन्धन धर्म' से क्या तात्पर्य है? क्या यह नियमों एवं सिद्धान्तों के साथ समझौता है?
- प्रश्न- क्षेत्रीय दलों के अवगुण, टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम क्या है? सामुदायिक विकास कार्यक्रम का क्या उद्देश्य है?
- प्रश्न- 73वाँ संविधान संशोधन अधिनियम की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- पंचायती राज से आप क्या समझते हैं? ग्रामीण पुननिर्माण में पंचायतों के कार्यों एवं महत्व को बताइये।
- प्रश्न- भारतीय ग्राम पंचायतों के दोषों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- ग्राम पंचायतों का ग्रामीण समाज में क्या महत्व है?
- प्रश्न- क्षेत्र पंचायत के संगठन तथा कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- जिला पंचायत का संगठन तथा ग्रामीण समाज में इसकी भूमिका की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- भारत में स्थानीय शासन के सम्बन्ध में 'पंचायत राज' के सिद्धान्त व व्यवहार की आलोचना कीजिए।
- प्रश्न- नगरपालिका क्या है? तथा नगरपालिका के कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नगरीय स्वायत्त शासन की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- ग्राम सभा के प्रमुख कार्य बताइये।
- प्रश्न- ग्राम पंचायत की आय के प्रमुख साधन बताइये।
- प्रश्न- पंचायती व्यवस्था के चार उद्देश्य बताइये।
- प्रश्न- ग्राम पंचायत के चार अधिकार बताइये।
- प्रश्न- न्याय पंचायत का गठन किस प्रकार किया जाता है?
- प्रश्न- ग्राम पंचायत से आप क्या समझते तथा ग्राम सभा तथा ग्राम पंचायत में क्या अन्तर है?
- प्रश्न- ग्राम पंचायत की उन्नति के लिए सुझाव दीजिए।
- प्रश्न- ग्रामीण समुदाय पर पंचायत के प्रभाव का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में पंचायत राज संस्थाएँ बताइये।
- प्रश्न- क्षेत्र पंचायत का ग्रामीण समाज में क्या महत्व है?
- प्रश्न- ग्राम पंचायत के महत्व को बढ़ाने के लिए सरकार के द्वारा क्या प्रयास किये गये हैं?
- प्रश्न- नगर निगम के संगठनात्मक संरचना का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नगर निगम के भूमिका एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नगरीय स्वशासन संस्थाओं की समस्याओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नगरीय निकायों की संरचना पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- नगर पंचायत पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- दबाव व हित समूह में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- दबाव समूह से आप क्या समझते हैं? दबाव समूहों के क्या लक्षण हैं? दबाव समूहों द्वारा अपनाई जाने वाली कार्यप्रणाली के विषय में बतायें।
- प्रश्न- दबाव समूह अपने हित पूरा करने के लिए किस प्रकार कार्य करते हैं?
- प्रश्न- दबाव समूहों के महत्व पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- भारत के प्रमुख राजनीतिक दलों के विषय में संक्षिप्त जानकारी दीजिए।
- प्रश्न- दबाव समूह किसे कहते हैं? दबाव समूह के कार्यों को लिखिए। भारत की राजनीति में दबाव समूहों की भूमिका की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- मतदान व्यवहार क्या है? मतदान व्यवहार को प्रभावित करने वाले तत्वों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- दबाव समूह व राजनीतिक दलों में क्या-क्या अन्तर है?
- प्रश्न- दबाव समूहों के दोषों का वर्णन करें।
- प्रश्न- भारत में श्रमिक संघों की विशेषताएँ। टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- भारत में निर्वाचन पद्धति के दोषों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारत में निर्वाचन पद्धति के दोषों को दूर करने के सुझाव दीजिए।
- प्रश्न- जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1996 के अंतर्गत चुनाव सुधार के संदर्भ में किये गये प्रावधानों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- क्या निर्वाचन आयोग एक निष्पक्ष एवं स्वतन्त्र संस्था है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- चुनाव सुधारों में बाधाओं पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- मतदान व्यवहार को प्रभावित करने वाले तत्व बताइये।
- प्रश्न- चुनाव सुधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- अलगाव से आप क्या समझते हैं? अलगाववाद के कारण क्या हैं?
- प्रश्न- भारतीय राजनीति में धर्म की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- धर्मनिरपेक्षता से आप क्या समझते हैं? धर्मनिरपेक्षता के संवैधानिक पक्ष को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सकारात्मक राजनीतिक कार्यवाही से क्या आशय है? इसके लिए भारतीय संविधान में क्या प्रावधान किए गए हैं?
- प्रश्न- जाति को परिभाषित कीजिए। भारतीय राजनीति पर जातिगत प्रभाव का अध्ययन कीजिए। जाति के राजनीतिकरण की विवेचना भी कीजिए।
- प्रश्न- निर्णय प्रक्रिया में राजनीतिक दलों में जाति की क्या भूमिका है?
- प्रश्न- राज्यों की राजनीति को जाति ने किस प्रकार प्रभावित किया है?
- प्रश्न- क्षेत्रीयतावाद (Regionalism) से क्या अभिप्राय है? इसने भारतीय राजनीति को किस प्रकार प्रभावित किया है? क्षेत्रवाद के उदय के क्या कारण हैं?
- प्रश्न- भारतीय राजनीति पर क्षेत्रवाद के प्रभावों का अध्ययन कीजिए।
- प्रश्न- क्षेत्रवाद के उदय के लिए कौन-से तत्व जिम्मेदार हैं?
- प्रश्न- भारत में भाषा और राजनीति के सम्बन्धों पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- उर्दू और हिन्दी भाषा को लेकर भारतीय राज्यों में क्या विवाद है? संक्षेप में चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- भाषा की समस्या हल करने के सुझाव दीजिए।
- प्रश्न- साम्प्रदायिकता से आप क्या समझते हैं? साम्प्रदायिकता के उदय के कारण और इसके दुष्परिणामों की चर्चा करते हुए इसको दूर करने के सुझाव बताइये। भारतीय राजनीति पर साम्प्रदायिकता का क्या प्रभाव पड़ा? समझाइये।
- प्रश्न- साम्प्रदायिकता के उदय के पीछे क्या कारण हैं?
- प्रश्न- साम्प्रदायिकता के दुष्परिणामों की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- साम्प्रदायिकता को दूर करने के सुझाव दीजिये।
- प्रश्न- भारतीय राजनीति पर साम्प्रदायिकता के प्रभाव का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- जाति व धर्म की राजनीति भारत में चुनावी राजनीति को कैसे प्रभावित करती है। क्या यह सकारात्मक प्रवृत्ति है या नकारात्मक?
- प्रश्न- "वर्तमान भारतीय राजनीति में धर्म, जाति तथा आरक्षण प्रधान कारक बन गये हैं।" इस पर अपना दृष्टिकोण स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 'जातिवाद' और सम्प्रदायवाद प्रजातंत्र के दो बड़े शत्रु हैं। टिप्पणी करें।
- प्रश्न- उत्तर प्रदेश के बँटवारे की राजनीति को समझाइए।
- प्रश्न- जन राजनीतिक संस्कृति के विकास के कारण का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 'भारतीय राजनीति में जाति की भूमिका' संक्षिप्त मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- चुनावी राजनीति में भावनात्मक मुद्दे पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भ्रष्टाचार से क्या अभिप्राय है? भ्रष्टाचार की समस्या के लिए कौन से कारण उत्तरदायी हैं? इस समस्या के समाधान के लिए उपाय बताइए।
- प्रश्न- भ्रष्टाचार के लिए कौन-कौन से कारण उत्तरदायी हैं?
- प्रश्न- भ्रष्टाचार उन्मूलन के कौन-कौन से उपाय हैं?
- प्रश्न- भारत में राजनैतिक, व्यापारिक-औद्योगिक तथा धार्मिक क्षेत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- भ्रष्टाचार क्या है? भारत के आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक, व्यापारिक एवं धार्मिक क्षेत्रों में व्याप्त भ्रष्टाचार का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत के आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक, व्यापारिक एवं धार्मिक क्षेत्रों में व्याप्त भ्रष्टाचार का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भ्रष्टाचार के प्रभावों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार की रोकथाम के सुझाव दीजिये।
- प्रश्न- भ्रष्टाचार से आप क्या समझते हैं? इसके प्रकारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भ्रष्टाचार की विशेषताओं को बताइए।
- प्रश्न- लोक जीवन में भ्रष्टाचार के कारण बताइये।
- प्रश्न- राष्ट्रपति शासन क्या है? यह किन परिस्थितियों में लागू होता है? राष्ट्रपति शासन लगने से क्या परिवर्तन होता है?
- प्रश्न- दल-बदल की समस्या (भारतीय राजनैतिक दलों में)।
- प्रश्न- राष्ट्रपति और प्रधानमन्त्री के सम्बन्धों पर वैधानिक व राजनीतिक दृष्टिकोण क्या है? उनके सम्बन्धों के निर्धारक तत्व कौन-से हैं?
- प्रश्न- दल-बदल कानून (Anti Defection Law) पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- संविधान के क्रियाकलापों पर पुनर्विलोकन हेतु स्थापित राष्ट्रीय आयोग (2002) की दलबदल नियम पद संस्तुति, टिप्पणी कीजिए।